बेक़दरों के साथ मत रहना

15-11-2025

बेक़दरों के साथ मत रहना

डॉ. प्रियंका सौरभ (अंक: 288, नवम्बर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

अकेले हो जाने के ख़ौफ़ से, 
तुम ख़ुद से जुदा मत हो जाना। 
ये भीड़ बहुत शोर करती है, 
मगर दिल का सन्नाटा नहीं भरती है। 
 
जो साथ हैं, वो ज़रूरी नहीं अपने हों, 
और जो अपने हैं, वो ज़रूरी नहीं पास हों। 
हर मुस्कान की क़ीमत आँसू से न चुकाओ, 
हर रिश्ते को रिश्ता समझकर न निभाओ। 
 
कुछ लोग बस वक़्त काटने आते हैं, 
तुम उम्र गँवाने मत बैठ जाना। 
झूठे सुकून के नाम पर, 
सच्चे दर्द को दबाना मत। 
 
ख़ुद से मोहब्बत ही सबसे बड़ा साहस है, 
इसे किसी के रहम पर मत छोड़ो। 
अगर रास्ते में कोई नहीं चलता, 
तो अपने साये से बात कर लेना। 
 
दुनिया को तमीज़ नहीं क़द्र की, 
तुम अपनी क़ीमत ख़ुद पहचान लेना। 
अकेले हो जाने के ख़ौफ़ से, 
तुम बेक़दरों के साथ मत रह जाना। 

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