राम ही राम
डॉ. उषा रानी बंसलसिया राम मैं सब जग जानी
करहऊं प्रणाम जोर जुग पानी।
ऐसे राम हैं जगत के राम,
राम गुरु, राम ही माता,
राम पिता, बंधु, साईं राम।
राम प्राण प्रिय जीवन जी के,
भक्तों के राम —
रावण के मन बसते राम
बाली के बल में है राम
जीवन के हर काम में, राम ही राम,
राम ही राम राम ही राम।
भोजन करते राम राम,
काम करते राम राम,
नहाते राम, धोते राम, गाते राम,
हँसते राम,रोते राम– अरे राम
(क्या कर डाला राम)।
जीवन राम, मरण है राम –
राम नाम सत्य है/ सत् है,
तन में राम,मन में राम,
सुख में राम, दुख में राम,
(हाय-हाय क्या कर डाला राम)
दुआओं में हैं राम राम।
नफ़रत में भी राम हैं,
(राम करे तेरा बेड़ा गरक हो)
घर का सेवक राम ग़ुलाम।
राम ही केवल राम राम —
घर में जन्मे राम राम,
बालक अपना राम प्यारा,
सूरत इसकी राम राम
इस पर पर रीझे राम सकल ,
राम सरल है बिल्कुल साधो राम,
लाखों में अपना एक राम,
राम नगीना,राम रतन है राम धनी,
अपना लाल तो राम समान।
जीवन चर्या राम के नाम -
ठुमकते राम, मचलते राम, चलते राम,
गिरते राम, सँभलते राम,
राम जिआवन राम खिलवान,
अनेक नाम धराते राम,
पढ़ते राम, लिखते राम,
राम लेखी राम राम,
याद धराते राम ही राम।
पल पल के साथी हैं अपने राम,
न कोई ऊँचा न कोई नीचा
कोल किरात भील, बनवासी,
कंद मूल फल खाये राम,
भक्ति भाव - प्रेम के प्यारे हैं अपने राम,
झूठे बेर भिलनी के खाये राम,
ऐसे अपने प्रेम पियारे राम।
राम कृपा ने पत्थर तारे,
सब सम्प्रदायों में द्वंद्व समास हैं—
राम सेतु हैं सम्प्रदान राम -
रंगास्वामि पेरुमाल राम,
राम के ईश हैं रामेश्वरम राम,
दक्षिण में शिव राम बिराजें,
काशी में बसते शिवशंकर राम,
सब रटते सब साईं राम,
राम जी करें भला, कहते साईं राम।
भक्तों के भक्त हैं अपने राम,
तुलसी के राम, जायसी, रसखान, क़ुत्बन,
रैदास के साधो राम,
रामानन्द, नामदेव, ज्ञानेश्वर,
तुकाराम के राम बने हैं राम दास।
सबके अपने अपने राम -
सगुणों के राम रामानुज, तो कण में बिराजें -
कबीर के निर्गुणियाँ राम,
कण कण में बसते अपने राम।
गंगा राम, जमुना राम,
जड़ चेतन सब राम राम,
राम अनादि, राम अनंता,
राम की रचना राम ही जाने,
घट घट बासी अपने राम,
पाले, पोसे और संहारे,
मुक्ति दाता नर हरि राम ,
अनिकेत, अविनाशी,बअसीम,
दिग दिगंत नर-नारायण राम।
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