तालाब में बवंडर

15-10-2021

तालाब में बवंडर

डॉ. उषा रानी बंसल (अंक: 191, अक्टूबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

एक छोटा सा तालाब था। उसमें मछली का परिवार रहता था। परिवार में हम दो, हमारे दो थे, अर्थात्‌ चार। ऐसे ही आसपास बहुत से मछली परिवार थे, एक दूसरे से बेख़बर। अपने में सिमटे हुए। तालब में न कोई लहर, न कंपन, न चुनौती। शांत जल में उनके अपने परिवार की ही हलचल थी।

कुछ समय बाद मछ्ली के माता-पिता भी अकस्मात्‌ तलाब में कूद पड़े। तालाब में ऐसा चक्रावात उठा जैसा शांत ठहरे जल में पत्थर डालने से उठता है। उसकी लहरें एक गोले में घूमती अंतरतल तक उतर गईं। सब बिखर सा गया।

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