होरी है……
डॉ. उषा रानी बंसलभक्त रसखान के होली गीतों पर आधारित एक होली गीत—
अ—र- -र- -र- -र
स- र-र-र-र
होली है- -होरी है- -
अ- -र-र-र-र, स-र-र-र-र होली है, ठिठोली है।
जब से फागुन है आया
रंगों का पैगाम है लाया।
रंग–रंग के फूल खिले हैं
लाल, गुलाबी, नीले, पीले।
आम देखो कैसा बौराया
रंगों की मस्ती छाई-
अ—र- -र- -र- -र
स- र-र-र-र
होली है- -होरी है-
अ- -र-र-र-र, स-र-र-र-र होली है,ठिठोली है।
बृज-वासिन के अंग रँगे हैं,
मन श्यामा के प्रेम पगे हैं,
गोपी–ग्वालिन–बाला-बूढ़ी,
नार नवेली राधा प्यारी
कान्हा संग खेरें खेलें होरी।
अ—र- -र- -र- -र
स- र-र-र-र
होली है- -होरी है- -
अ- -र-र-र-र, स-र-र-र-र होली है,ठिठोली है।
लाज–शरम करे न कोई,
मलें गुलाल, भरें पिचकारी
अ—र- -र- -र- -र
स- र-र-र-र
चलें पिचकारी, भागें इधर-उधर नर-नारी,
भागम भाग में चुनरी फटी, लिपटी साड़ी सारी
ग्वाल-बाल सब हुड़दंग मचायें,
कान्हा भींजें खड़े खड़े, मन ही–मन रीझें-खीझें,
बांसुरिया मधुर बजायें,
इसी अदा पे वारे सारे गोकुलवासी।
अ—र- -र- -र- -र
स- र-र-र-र
होली है- -होरी है- -
अ- -र-र-र-र, स-र-र-र-र होली है, ठिठोली है।
आज बृज में होली रे रसिया,
होली रे रसिया बरजोरी रे रसिया
आज बृज में होलीरे रसिया
होली रे रसिया बरजोरी रे रसिया
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