पिता को मुखाग्नि 

01-01-2025

पिता को मुखाग्नि 

डॉ. उषा रानी बंसल (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

हम तो माने थे, 
हमारा दिल नहीं 
पत्थर है,
पर— 
जब पिता को, 
मुखाग्नि देने को—आग थामी,
तो जाना . . .
पिता से हज़ार शिकायतें थीं 
मगर . . .
पहली व अन्तिम बार 
उनके चरणों को आँसुओं से धोया। 

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