यह ज़िंदगी

01-08-2020

यह ज़िंदगी

राजनन्दन सिंह (अंक: 161, अगस्त प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

यह ज़िंदगी
एक जलती हुई फुलझड़ी है
बारूद का आग से मिलन 
जन्म है
फुलझड़ी का जल उठना
जीवन की शुरुआत
जलते रहना ज़िंदगी
और ताप की समाप्ति
जीवन का अंत
ज़िंदगी की तरह फुलझड़ी भी 
रंगीन और सादी होती है
वैभवपूर्ण ज़िंदगी
अच्छी बारूद वाली
रंगीन फुलझड़ी 
कुछ फुलझड़ियाँ
जल-जल कर बुझती हैं
और बुझ-बुझ कर जलती हैं
मगर जलती हैं
और जलती रहती हैं
अभावग्रस्त ज़िन्दगी की तरह 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कहानी
सांस्कृतिक आलेख
कविता
किशोर साहित्य कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
दोहे
सम्पादकीय प्रतिक्रिया
बाल साहित्य कविता
नज़्म
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में