अंकल

राजनन्दन सिंह (अंक: 159, जुलाई प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

अपनी हिन्दी में
अंग्रेज़ी के कुछ वाचाल शब्द
विवशता में
दिखावे में
वैसे तो अच्छे हैं
पर घर के भीतर
या घर में नहीं
बल्कि घर के बाहर
वरना यह 
बड़े बाबूजी
छोटे बाबूजी
ताऊजी चाचाजी
मामाजी फूफाजी
पापा के मित्र
चाचाजी के मित्र
या भैया की उम्र से 
थोड़े बड़े
कोई अनजान 
सज्जन
इन्हें उन्हें उन्हें
हर किसी को 
सिर्फ़ एक हीं शब्द में
लपेट देता है –
अंकल!

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