मन बहलाओ गर्मी

15-08-2020

मन बहलाओ गर्मी

राजनन्दन सिंह (अंक: 162, अगस्त द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

मेरा मन बहलाओ गर्मी
आओ गर्मी आओ गर्मी
 
तुम आते तो आम खिलाते
स्कूल से आराम दिलाते
आओ ख़ुशियाँ लाओ गर्मी
आओ गर्मी आओ गर्मी
 
लम्बी छुट्टियाँ लेकर आते
जाने फिर कहाँ पर जाते
कहीं नहीं तुम जाओ गर्मी
आओ गर्मी आओ गर्मी
 
गर्मी में हम ख़ूब नहाते
ख़ूब खेलते मन हर्षाते
यहीं कहीं बस जाओ गर्मी
आओ गर्मी आओ गर्मी

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सम्पादकीय प्रतिक्रिया
कहानी
सांस्कृतिक आलेख
कविता
किशोर साहित्य कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
दोहे
बाल साहित्य कविता
नज़्म
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में