कोटि नमन हे प्राणाधार

15-10-2020

कोटि नमन हे प्राणाधार

राजनन्दन सिंह (अंक: 167, अक्टूबर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

कोटि नमन हे भारत तुमको कोटि नमन हे प्राणाधार
मीठे जल बरसाते बादल तेरी नदियाँ अमृत धार
तेरा मस्तक ऊँच हिमालय लिये खड़ा है जीवन सार
कोटि नमन हे भारत तुमको कोटि नमन हे प्राणाधार
 
चाँदी बहती है नदियों में सोने की रेत किनारों पर
धरा उगलती है हीरा मोती है यहाँ पहाड़ों पर
तेरा आँचल हरा भरा है रंग-बिरंगे फूल खिले
दूर क्षितिज तक हरियाली है जहाँ जमीं आकाश मिले
 
तेरे वन उपवन में चंदन है तेरे कण-कण में प्यार 
कोटि नमन हे भारत तुमको कोटि नमन हे प्राणाधार
 
तू देवों की जननी माता वीरों की तू जन्मभूमि
ऋषि-मुनियों की तपोभूमि तू ही गिरिधर की कर्मभूमि
तेरी मिट्टी के कण-कण में ईश व्याप्त जीवन संचार
कोटि नमन हे भारत तुमको कोटि नमन हे प्राणाधार

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