आज और बीता हुआ कल

01-11-2020

आज और बीता हुआ कल

राजनन्दन सिंह (अंक: 168, नवम्बर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

हर आज 
समझता है कि वह
बीते हुए कल से
दस क़दम आगे है
यह तो अच्छी बात है
मैं चाहता हूँ आनेवाला आज 
अपने को बीस क़दम आगे सोचे
पर यह न भूले कि उसका पाँव
बीते हुए कल के कंधे पर है
वरना वह वहाँ होता 
जहाँ से बीते हुए कल ने
चलना सीखा था।

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