मुफ़्त सेवा का अर्थशास्त्र

15-03-2021

मुफ़्त सेवा का अर्थशास्त्र

राजनन्दन सिंह (अंक: 177, मार्च द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

समय चाहता है
मुफ़्त के उपदेश पर
मुफ़्त ज्ञान  के वितरण पर 
सरकारी प्रतिबन्ध हो
 
ऐसे उपदेशों और ज्ञान की कक्षा में
व्यक्ति जीवन भर बैठता है
मगर ज्ञानी नहीं होता
मुफ़्तोपदेश एक प्रपंच है
समाज का इससे द्वंद्व हो
 
उपदेशों का  एक तय प्रमाणिक
मानक पाठ्यक्रम हो 
शुल्क हो परीक्षा हो 
प्रमाण पत्र  डिप्लोमा हो 
डिग्री हो कुछ लाभ हो
दो रोटी का अनुबंध हो
 
मुफ़्त सेवा का अर्थशास्त्र
कहाँ होती है इसकी पढ़ाई
सवा सौ देशों में आश्रम
लाखों समर्पित जीवनदानी
अथाह अथाह कमाई?
मुफ़्त सेवा की आड़ में
यह छद्मार्जन बंद हो
 
समय चाहता है
मुफ़्त के उपदेश पर
मुफ़्त ज्ञान  के वितरण पर 
सरकारी प्रतिबन्ध हो

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