सरदी रानी आई है

01-12-2020

सरदी रानी आई है

राजनन्दन सिंह (अंक: 170, दिसंबर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

शीत पवन को साथ लिये
ठंडी और लम्बी रात लिये
लो सरदी रानी आई है
 
मन में ख़ुशियाँ है उनके
कहीं नहीं ठिठुरना है जिनको
है बाहर-भीतर भरा हुआ
दुशाले हैं रजाई है
लो सरदी रानी आई है

कहवा कॉफ़ी चाय गरम
टोपी जूते और वस्त्र नरम
गाड़ी घर है वातानुकूलित
जहाँ मनचाही गरमाई है
लो सरदी रानी आई है
 
कँपकँपी है ठिठुरन है
निज ही घुटनों संग सिकुड़न है
कहीं दाँत बोलते कट् कट् कट्
हर रोम उभर कहीं आई है
लो सरदी रानी आई है 
 
क्या बीतेगी उस मन पर
नहीं एक वसन है जिस तन पर
वह आग जलाए भी तो कैसे
महँगी दियासलाई है
लो सरदी रानी आई है  
 

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