शत नमन किसान को
राजनन्दन सिंहशत नमन किसान को
जो पाल रहे इंसान को
कभी न आलस उनको आते
सुबह सवेरे वे जग जाते
खिला-पिला कर बैलों को ले
चल पड़ते खेत खलिहान को
शत नमन किसान को
जोत-कोड़ कर खेत बनाते
वे ख़ुद भी कुदाल चलाते
अच्छी बाली की खातिर वो
सहते शीत धूप तूफ़ान को
शत नमन किसान को
मेहनत उनकी अनमोल बड़ी
वे चैन न लेते एक घड़ी
अपनी मेहनत से पाल रहे हैं
सारे हिन्दुस्तान को
शत नमन किसान को
वे मानव के भाग्य विधाता
जानवरों के आश्रयदाता
सीधा-सादा जीवन उनका
न भूलते भगवान को
शत नमन किसान को
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