जाते-जाते हे वर्ष बीस

15-12-2020

जाते-जाते हे वर्ष बीस

राजनन्दन सिंह (अंक: 171, दिसंबर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

जाते-जाते हे वर्ष बीस
निज संग समेट बाधा छत्तीस
देते जाओ यह शुभाशीष
मंगलमय हो नववर्ष इक्कीस
 
तेरा आना दुखदायी था
क्रूर कोरोना तेरा भाई था
अदृश्य बहुत हरजाई था
जग गेहूँ भाँति दिया पीस
 
जग का पहिया तुमने रोका
तुम आपद थे या थे धोखा
या पाकर तुमने यह मौका
बींधा जन हृदय दिया टीस    
 
पैदल कितने मज़दूर मरे
जो जीवित रहे मजबूर पड़े
सब देख रहे थे दूर खड़े
तुम करते रहे ग़म की बारिश
 
हो इस हानि की भरपाई
इस मन से लो तुम विदाई
देकर जाओ यह अरुणाई
रहे सुखद इक्कीस से उनतालीस
 
जाते-जाते हे वर्ष बीस
निज संग समेट बाधा छत्तीस
देते जाओ यह शुभाशीष
मंगलमय हो नववर्ष इक्कीस
 

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