दीये की लौ पर

01-11-2020

दीये की लौ पर

राजनन्दन सिंह (अंक: 168, नवम्बर प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

दिये की लौ पर
उन कीड़ों का जलना
नहीं है
कोई प्रेमवश प्राणार्पण
किसी प्रेमी का संदेश
मत समझो
ये प्रेम के कोई परवाने आते हैं
यह तो प्रतीक है
अस्तित्व विहीन उन दुष्टों का
जो अँधेरगर्दी क़ायम रखने की ख़ातिर
रोशनी को बुझाने आते हैं
तिनका होकर आग से 
टकराने आते हैं
दीये की लौ पर ये दुष्ट
अपनी हस्ती आज़माने आते हैं

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