गर्व हमें है

01-06-2020

गर्व हमें है

राजनन्दन सिंह (अंक: 157, जून प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

गर्व हमें है इस दुनिया में भारतवासी होने का
गंगा जमुना इस धरती पर मथुरा काशी होने का


धरती का यह स्वर्ग यहाँ आने को देव ललचते हैं
हर जाति हर वर्ग यहाँ बँध एक सूत्र में रहते हैं


सबसे ऊँचा हिमालय का मस्तक मेरा शान है
कहीं झुके न कभी झुके न हम इस पर क़ुर्बान हैं


तपोभूमि है ऋषि-मुनि की देवों को यह प्यारी है
जन्मभूमि है वीरों की यह हर देशों से न्यारी है


मातृभूमि से प्यार हमें यह प्राणों से भी प्यारी है
मातृभूमि से प्यार हमें यह प्राणों से भी प्यारी है

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सम्पादकीय प्रतिक्रिया
कहानी
सांस्कृतिक आलेख
कविता
किशोर साहित्य कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
दोहे
बाल साहित्य कविता
नज़्म
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में