मैं और मेरा मैं

01-01-2021

मैं और मेरा मैं

राजनन्दन सिंह (अंक: 172, जनवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

जैसा कि दिखता हूँ
अकेला नहीं हूँ मैं
मेरे मैं के भीतर
और भी न जाने
मेरे कितने मैं विद्यमान है
जो मेरे ऊपर
बारी-बारी से अपनी-अपनी चलाते हैं
मुझे नचाते हैं
स्वयं मैं तो 
कंप्यूटर से जुड़े किसी प्रिंटर का 
एक प्रिंटिंग हेड मात्र हूँ
मेरे मैं के भीतर
और भी न जाने
मेरे कितने मैं 
अपने-अपने प्रिंट का कमांड लिये
उतावले खड़े हैं
मेरा हर मैं
मुझसे हर बार
अपनी-अपनी कमांड 
प्रिंट करवाता है
मुझे दौड़ाता है भगाता है
हवा में उड़ाता है
अफ़सोस कि
अपने हर मैं की कमांड पर
अकेला मैं ही घिसता हूँ
अपने हर एक मैं
और मैं की चक्की में 
सिर्फ मैं 
और स्वयं मैं ही पिसता हूँ

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