जगह की कमी

15-10-2021

जगह की कमी

राजनन्दन सिंह (अंक: 191, अक्टूबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

क्या लगता है?
जगह की कमी
फ़ोर बीएचके में जाकर 
दूर हो जाएगी
नहीं!
आदमी का स्वभाव है
जेब के हिसाब से
मन बढ़ता है
ज़रूरतें बढ़ती हैं 
 
धन की आवक हो
तो एक परिवार को
फ़ोर फ़्लोर का बँगला भी
पूरा नहीं पड़ता
स्वीमिंग पूल
निजी गार्डन
गेस्ट हाउस
निजी थियेटर 
फ़ॉर्म हाउस तक जाकर भी 
मन नहीं ठहरता
 
सम्राटों का भी मन नहीं भरा
वह बढ़ता रहता है
ज़रूरतें बढ़ती रहती हैं
जगह की कमी 
हमेशा बनी रहती है

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