तुम्हारी चले तो

15-02-2021

तुम्हारी चले तो

राजनन्दन सिंह (अंक: 175, फरवरी द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

हमारे हिस्से का खेत
हमारे हिस्से के बाग़
हमारे हिस्से का वन 
तुम और तुम्हारा धन
कर लेता है अतिक्रमण 
लिखवाकर अपना नामपट्ट
बनाते हो फ़ार्म हाउस
लगवा देते हो चाहारदीवारी
बैठा देते हो पहरा
और हमारा प्रवेश
कर देते हो निषेध
यह संकेत है
तुम्हारी चले तो
तुम भरवा दो सारे खुदे हुए कुँए 
परमार्थ तालाब 
अपने घेरे में ले लो प्रकृति की झीलें
दूषित करवा दो नदियाँ नाले
बोतल में बंद कर दो 
वर्षा और ओस का पानी
नलियों में भर लो हवा
हमारी साँसें हमारा जीवन
और बेचने लगो ऑक्सीजन 
तुम्हारी चले तो
हाँ! तुम ये करोगे
साँसों का भी व्यवसायीकरण

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