मूर्ति विसर्जन

15-06-2020

मूर्ति विसर्जन

राजनन्दन सिंह (अंक: 158, जून द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

मूर्ति विसर्जन के साथ ही
बहा दी जाती है
मूर्तिकार की
कठिन साधना से तैयार
प्रतिवर्ष
उसकी एक नई कृति


वह सरकारी अधिकारी नहीं है
जिनका बनवाया
भवन सड़क और पुल
उद्घाटन पूर्व यदि ढह भी जाए
तो उसे कोई दर्द न हो


वह कलाकार है
उसे दर्द होता है
हर बार दर्द होता है
वचनबद्ध निःशब्द
शांतनु की तरह
जब-जब भी वह देखता है
हर वर्ष
अपनी बनायी हुई
मूर्तियों का विसर्जन
और अगले वर्ष पुनः
एक और विसर्जन

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