पुत्र माँगती माँ

15-02-2020

पुत्र माँगती माँ

राजनन्दन सिंह (अंक: 150, फरवरी द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

आग में पानी में खड़े होकर 
ईश्वर से पुत्र माँगती है माँ।
पुत्र के लिए जिउतिया 
व्रत-उपवास ठानती है माँ
पुत्र मुँह ज़रा सा पा मलिन 
डॅाक्टर, वैद, पंडित
हकीम, ओझा, फ़क़ीर
हर जगह को छानती है माँ
बड़ा होकर बेटा
बाप का सहारा बनेगा
माँ के लिए बहू लाएगा
वंश आगे बढ़ायेगा
बुढ़ापे की लाठी बनेगा
नइया पार लगायेगा
इतना तक तो अनुमानती है माँ


मगर बड़ा होने के बदले 
बेटा सयाना हो जाएगा 
माँ-बाप से आँखें चुराएगा
मन की बात बहू से कहलवाएगा
और लाड़-लाड़ में पोता 
घर से बाहर भी धकिआएगा 
ये सब नहीं जानती है माँ
आग में पानी में खड़े होकर 
ईश्वर से पुत्र माँगती है माँ।

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