तुम्हारी ईमानदारी
वस्तुतः ईमानदारी नहीं
समय के साथ
बदली हुई परिस्थितियों के
ढाँचे में ढली हुई होशियारी है।
जिस ज़मीन पर
लहलहा रहे हो तुम
ईमानदारी तो वहाँ पनपती भी नहीं
लहलहायेगी कैसे?
तुम्हारी ईमानदारी की
तुम्हारी दावेदारी
वस्तुतः
ईमानदारी नहीं
नये पैंतरे के साथ
एक नया दाँव
एक नये प्रपंच की
पूर्वनियोजित तैयारी है
तुम्हारी ईमानदारी!