तैमूरी लुटेरों की लूट-खसोट
अतातायी आक्रमणकारियों के
नादिरशाही आतंक
अत्याचारों ने
जितना मुझे लहुलुहान नहीं किया
अँग्रेज़ी इशारों पर
देशी घोड़ों के टापों ने भी
उतने गहरे घाव नहीं दिये
जितनी तुम्हारे झूठ, सहानुभूति
और छद्मनिष्ठा ने दिये हैं
सुनहरे केंचुल में लिपटे सँपोले
किस ज़हरीली सर्पिनी
के विष गर्भ से निकले
गंदे, घिनौने विष-व्याल!
मातृहंते
तुम कौन हो?
कौन हो तुम !
जो अपने विषदंत के विष से
हमें विषाक्त कर
हमारी धरती पर लोट रहे हो
हमारी धरती को लूट रहे हो
तुम कौन हो