प्रजातंत्र में
सुखी कोई नहीं है
जो सच्चा है
ईमानदार है
न देश
न जनता
न नेता
देश अराजकों की
अराजकता की शिकार है
जनता के ऊपर
समस्याओं का पहाड़ है
नेता को हरदम
कुर्सी बचाने और पाने की
चिन्ता सवार है
हाँ कुछ लोग मज़े में ज़रूर है
जिन पर अल्लाह मेहरबान है
पात्रता चपरासी की है
और बने हुए सरकार हैं