एक हाथ ज़मीन खोदकर
गेहूँ उपजाने के बदले
हमने पृथ्वी की
हज़ार तहों को तोड़ा
काली पीली चमकीली
धातु-कुधातुओं को निकाला
और उसमें भर दिया
एक झूठा संचित मूल्य
जो भूख-प्यास नहीं मिटा सकती
जो ठंडी से गर्मी से
धूप से बारिश से
नहीं बचा सकती
गेहूँ का अपना जीवन मूल्य होता है
जो सोने में नहीं होता
सोने का अपना
कोई जीवन मूल्य ही नहीं
इसीलिए यह सिर्फ़
आदमी के काम आता है
सोने में संचित मूल्य
वास्तव में गेहूँ का जीवन मूल्य है
और तभी तक है
जब तक गेहूँ है
गेहूँ की भरमार है
आज जो एक तोला सोने में
चार टन गेहूँ का मूल्य संचित है
किसी दिन कहीं ऐसा हुआ
कि किसी कारणवश
धातुओं का धंधा ही न रहा
और ज़िंदगी
गेहूँ पर निर्भर हो गई
तो किसी की मानवता
भले ही मदद में पहुँचा दे
किसी को चार किलो गेहूँ
मगर ख़रीदने जाए
तो तब शायद
चार टन सोने का संचित मूल्य भी
कम पड़ जाए
एक मुट्ठी गेहूँ के
जीवन मूल्य के लिए