जब मैं शर्मसार हुई

24-08-2016

जब मैं शर्मसार हुई

डॉ. उषा रानी बंसल

मेरी सहेली की भाभी ने होली मिलन समारोह रखा था। उसमें मुझे भी बुलाया था। होली के गाने, नृत्य आदि के बाद फोटो सैशन शुरू हो गया। एक भद्र महिला ने फोटो खींचने वाले से कहा कि ज़रा रुक जाइए। ऐसा कह कर वह अपनी साड़ी ठीक करते हुए बोलीं कि सिल्क की साड़ी के नीचे वह पहिले बहुत मैचिंग का ध्यान नहीं रखती थीं, लेकिन जब एक फोटो में साड़ी के नीचे से दूसरे रंग का पेटीकोट झाँक रहा था, तो उन्होंने क़सम खाई कि वह अब से मैचिंग का ध्यान रखेंगी। उनकी यह बात सुन कर मुझे बहुत शर्म आई क्योंकि सिल्क की साड़ी के नीचे अक्सर मैं भी मैचिंग का ध्यान नहीं रखती थी। यह सोच कर मैं शर्मसार हो गई कि जाने कितने फोटो में मेरे अल्रग अलग रंग के पेटीकोट व साड़ी फोटायमान हुए होंगे।

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