आधुनिक बेताल चौबीसी (कथा-01): चापलूस

01-11-2022

आधुनिक बेताल चौबीसी (कथा-01): चापलूस

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 216, नवम्बर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

अभी राजा विक्रम शव को कंधे पर लादकर कुछ ही क़दम चले थे कि तभी उस शव में मौजूद बेताल ने अपनी पुरानी शर्त को दोहराते हुए राजा विक्रम को यह नयी कथा सुनाई। 

बेताल बोला, “महाराज, सिर्फ़ परिश्रम करने से लाभ नहीं होता है। सफलता के लिए परिश्रम के साथ चालाकी भी ज़रूरी है। उदहारण के लिए शायद तुम उस व्यक्ति को जानते हो जो युवावस्था में गुंडई करता था लेकिन अब इस देश में एक प्रदेश पर शासन कर रहा है और बड़े-बड़े विद्वानों से अपनी चरण वंदना करवा रहा है। मेरा सवाल सिर्फ़ इतना है कि ये तथाकथित विद्वान सब कुछ जानते हुए भी उसकी चरण वंदना क्यों करते हैं?” 

शर्त को भूलते हुए राजा विक्रम ने तनिक क्रोधित होते हुए कहा, “हे बेताल, ये सभी विद्वान सरकार द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों और अन्य सुविधाओं को प्राप्त करने हेतु उस घटिया इंसान की चापलूसी में लगे रहते हैं।” 

बहरहाल, राजा के जवाब को सुनकर बेताल ने फिर वही किया जो वो आज तक करता आया है। राजा के जवाब को सुनकर शव के साथ वह बेताल फिर मसान में खड़े सिरस के पेड़ पर जा पहुँचा।

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