विधि का विधान

01-02-2022

विधि का विधान

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 198, फरवरी प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

चकोर जी उस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे जिसे उनके शहर के सिटीजन क्लब ने आज़ादी के ‘अमृत महोत्सव‘ के सिलसिले में आयोजित किया था। 

ख़ैर, सिटीजन क्लब के सचिव ने चकोर जी को मंच पर उनके उद्बोधन के लिए आमंत्रित करने से पहले परंपरा का निर्वहन करते हुए उनका परिचय देते हए कहा, “मित्रों, हमारे क्लब के लिए यह गौरव की बात है कि आज चकोर जी हमारे बीच मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार रखेंगे। चकोर जी का पूरा जीवन समाज सेवा में बीता। उनके पिता जी भी ब्रिटिश शासन के दौरान वर्षों जेल में रहे। वे उन लोगों में अग्रणी . . . . 

सचिव का भाषण जारी था लेकिन चकोर जी सोच रहे थे कि विधि का विधान भी अजीब है। सचिव को पता ही नहीं कि उनके पिता जी वर्षों जेल में इसलिए रहे क्योंकि वे ब्रिटिश शासन में जेल में नौकरी करते थे। रही उनकी बात तो वे छात्र जीवन में सिनेमा की टिकटें ब्लैक करते रहे और बाद में वे रेत के अवैध खनन से जुड़ गए। 

बहरहाल, पार्टी को चंदा देने की वजह से उन्हें क्षेत्रीय नेताओं से निरंतर सहयोग मिलता रहा। और जहाँ तक विचारों का सवाल है, अपना आज का भाषण वे उस अध्यापक से लिखवा कर लाए हैं जो उनके पोते को ट्यूशन पढ़ाता है। 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता - हाइकु
स्मृति लेख
लघुकथा
चिन्तन
आप-बीती
सांस्कृतिक कथा
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
व्यक्ति चित्र
कविता-मुक्तक
साहित्यिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में