हिसाब-किताब

01-09-2019

बावन वर्ष की उम्र में उसे कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ की वज़ह से बाईपास सर्जरी करवानी पड़ेगी, यह तो उसने कभी सोचा ही न था। वह शहर के उस चर्चित अस्पताल 
में भर्ती था जो दिल की शल्य चिकित्सा के लिए देश में ही नहीं, विदेशों में भी मशहूर है। ख़ैर, बाईपास सर्जरी की नियत तिथि से पहली रात उसने एक अजीबो-ग़रीब सपना 
देखा। वह मंदिर में गया और उसने भगवान से पूछा, "प्रभु, मेरे इलाज पर लगभग तीन लाख रुपये का क़र्च आएगा। आख़िर, आपने मुझे यह सज़ा क्यों दी है?"

भगवान मुस्कराते हुए बोले, "चौदह साल पहले तुमने व्यापार में अपने साझीदार हमउम्र सुनील को जो अस्सी हज़ार रुपये का चूना लगाया था, यह उसकी सज़ा है।"

उसने हाथ जोड़ते हुए पूछा, "लेकिन मुझे तो इस बीमारी की वज़ह से तीन लाख रुपये का नुक़सान हो रहा है?"

उसकी बात सुनकर भगवान हँसते हुए बोले, "व्यापारी होते हुए तुम हिसाब-किताब में इतने बेवकूफ़ हो, मुझे नहीं लगता। अरे अस्सी हज़ार पर चौदह साल का सूद जोड़ोगे तो सब समझ जाओगे।"

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता - हाइकु
स्मृति लेख
लघुकथा
चिन्तन
आप-बीती
सांस्कृतिक कथा
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
व्यक्ति चित्र
कविता-मुक्तक
साहित्यिक आलेख
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में