शास्त्री जी से जुड़े कुछ प्रेरक संस्मरण 

01-10-2022

शास्त्री जी से जुड़े कुछ प्रेरक संस्मरण 

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 214, अक्टूबर प्रथम, 2022 में प्रकाशित)

यह सन् 1915 की बात है। बालक लाल बहादुर शास्त्री को स्कूल जाने के लिए अपने गाँव के पास बहने वाली नदी को तैरकर पार जाना पड़ता था। नाव में एक आना लगता था लेकिन उनके पास एक आना भी नहीं होता था। एक दिन वे जब नदी के किनारे पहुँचे तो उन्हें वहाँ दस रुपये का नोट पड़ा मिला। वे उस नोट को मुट्ठी में छुपाये नदी किनारे नाव की इंतज़ार कर रहे लोगों से पूछने लगे कि क्या किसी का कोई रुपया-पैसा तो नहीं खोया है। शीघ्र ही उन्हें वह आदमी मिल गया जिसका वह नोट था। उस आदमी ने उन्हें बतौर इनाम एक रुपया देना चाहा लेकिन उन्होंने कहा कि यह तो मेरा फ़र्ज़ था और वे उस दिन भी नदी तैरकर अपने स्कूल पहुँचे। 

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तब शास्त्री जी को केंद्रीय मंत्री बने हुए कई साल हो गए थे। एक बार उन्हें किसी सरकारी कार्य हेतु एक ऐसे मुल्क में जाना था जहाँ बहुत ठंड पड़ती है। उनके पास कोई भी गरम कोट न था। उन्होंने जब सकुचाते हुए किसी से यह बात कही तब उनके लिए दो गरम कोट बनवाए गए। 

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स्वर्गीय शास्त्री जी ने अपने पूरे जीवन में कभी किसी पद को पाने के लिए जोड़तोड़ की राजनीति नहीं की। जब वे केंद्रीय मंत्रीमंडल में रेलवे विभाग के मंत्री थे तो एक रेल दुर्घटना की नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने उन्हें मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन वे अपने निर्णय से बिलकुल नहीं डिगे। 

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वे सिर्फ़ भाई-भतीजावाद से नहीं अपितु पुत्रवाद से तक दूर रहे। उन्होंने कभी अपने बेटों की सिफ़ारिश नहीं की। जब वे प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने अपने बेटे से कहा कि वह जहाँ कहीं भी किसी पद के लिए आवेदन भेजे, उसमें किसी को यह मालूम न होने दे कि उसके पिता इस देश के प्रधानमंत्री हैं। इतना ही नहीं, उनके एक बेटे ने 14 साल की उम्र से ही ड्राइवर से गाड़ी चलानी सीख ली थी। सोलह साल की उम्र पर उन्होंने अपने पिता के प्रभाव का इस्तेमाल करके ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया। जब ड्राइविंग लाइसेंस मिल गया तो उसे पाकर वह बहुत ख़ुश हुआ और तुरंत अपने बाबू जी के पास गया। बोला, “एक गुड न्यूज़ है। मुझे ड्राइविंग लाइसेंस मिल गया।” 

ड्राइविंग लाइसेंस देखते ही उन्होंने कहा, “यह तुम्हें कैसे मिल गया?” 

बेटे ने कहा, “अरे मैं आपका बेटा हूँ; मुझे कोई कैसे मना कर सकता था?” 

यह सुनते ही वे बहुत नाराज़ हुए और अपने पीए को बुलाकर बोले, “मुझे इस काम से बहुत गहरी चोट पहुँची है। आज प्रधानमंत्री आवास के प्रांगण में देश का एक क़ानून टूट गया। यह ड्राइविंग लाइसेंस जिस आरटीओ ने बनाया है, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए।”
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