गुड़ जैसी बात

15-02-2023

गुड़ जैसी बात

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 223, फरवरी द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)

मित्र ने उनका परिचय देते हुए कहा, “आप अरविंद कुमार हैं और आप . . .?” 

मित्र मेरा नाम बताए, इससे पहले मैंने ख़ुद ही हाथ बढ़ाते हुए कहा, “जी, मैं वीरेन हूँ; वीरेन जोशी।” 

इसके बाद मुझे चुप देख वे ख़ुद ही बोल पड़े, “आप मुझे नहीं जानते? अभी हाल में ही उपनयन प्रकाशन से ‘दिल्लगी क्या चीज़ है’ शीर्षक से मेरा नया ग़ज़ल संग्रह छपा है।” 

यूँ तो इससे पहले मैंने न तो उनका और न उनके इस ग़ज़ल संग्रह का नाम कभी सुना था लेकिन उनके चेहरे पर मौजूद दर्प को बनाए रखने की ग़रज़ से मैंने कहा, “आपको भला कौन नहीं जानता; आजकल तो आपके इस ग़ज़ल संग्रह का नाम सभी की ज़ुबाँ पर है।” 

दरअसल, बचपन में मैंने पिता जी को अक़्सर यह कहते सुना था, “हम किसी को गुड़ नहीं दे सकते लेकिन उससे गुड़ जैसी बात तो कर सकते हैं।”

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