भिखारी

01-12-2021

भिखारी

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 194, दिसंबर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

यह डॉ. चकोर का आमंत्रित व्याख्यान था। दरअसल, डॉ. चकोर भीख के ख़िलाफ़ पिछले चालीस वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। उनका कहना है कि किसी के आगे हाथ फैलना इंसान को शोभा नहीं देता है। इंसान को ख़ुद्दार होना चाहिए। हमारे संविधान में तक भीख माँगने को अपराध कहा गया है। फिर भी देश में भिखारियों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने संत कबीर को उद्धृत करते हुए कहा कि ’मांगन मरण सामान है, मत माँगो कोई भीख, माँगन से मरना भला, ये सतगुरु की सीख।’ हमारा यही प्रयास होना चाहिए कि हम अपनी ज़रूरतों की पूर्ति अपने पुरुषार्थ से करें।" कुल मिलाकर, उन्होंने भीख से जुड़े सभी पहलुओं पर रोशनी डाली और कुछ ऐसे सुझाव भी दिए जिनसे इस समस्या का समाधान हो सकता है। उनके इस पैंतालीस मिनट के भाषण का समापन श्रोताओं की ओर से करतल ध्वनि से किया गया। बहरहाल, वे अपने इस व्याख्यान के दौरान जिस लेज़र पॉइंटर का उपयोग करते रहे, वह हमारे एक सहयोगी डॉ. कपूर का था। भाषण के बाद चाय पीते समय वे डॉ. कपूर से बोले, "डॉ. कपूर आप तो विदेशी आते-जाते रहते हैं। आपको बुरा न लगे तो आपका यह लेज़र पॉइंटर मैं रख लेता हूँ।" 

अभी डॉ. कपूर उन्हें अपनी सहमति देते कि उससे पूर्व ही डॉ. चकोर उस पॉइंटर को अपने कोट की ऊपरी जेब पर पैन की मानिंद लगा चुके थे। बाद में डॉ. कपूर बता रहे थे कि उनका वह पॉइंटर लगभग ग्यारह डॉलर यानी सात सौ रुपयों का था लेकिन डॉ. चकोर जैसे विद्वान को वे भला कैसे इंकार कर सकते थे। 

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