लकड़बग्घे

15-10-2021

लकड़बग्घे

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 191, अक्टूबर द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

अख़बार में छपी ख़बर को पढ़कर रामेश्वर जी ने पत्नी को आवाज़ देते हुए कहा, "गौरी, सुनो तो; इस दर्दनाक ख़बर को तो पढ़ो।"

गौरी जी आयीं तो रामेश्वर जी ने अख़बार उन्हें थमा दिया। समाचार के अनुसार कल दोपहर में गाज़ियाबाद में एक नवविवाहिता युवती ने पंखे से लटककर अपने जीवन का अंत कर दिया। उस युवती के मायके वालों का कहना है कि यह सब दहेज़ के लोभी उसके सास-ससुर  और पति ने किया है। उनकी बेटी को मारने के बाद पंखे पर लटकाया गया है। पुलिस ने उस युवती के पति, ससुर और सास को शक़ की बिनाह पर गिरफ़्तार कर लिया है। पीड़िता की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। 

ख़बर पढ़ने के बाद गौरी ने दुखी स्वर में पूछा, "ये तो वही लोग हैं न जो पहले हमारी श्वेता का हाथ माँगने आये थे?" 

"हाँ, वही लोग हैं। तुम्हें याद है न कैसे उनकी दहेज़ की माँग को सुनकर मैंने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया था। लेकिन तब तुम्हें लगा था कि मैंने अपने ज़िद्दी स्वभाव की वज़ह से एक अच्छा रिश्ता ठुकरा दिया," रामेश्वर जी बोले। 

गौरी अपनी आँखों में आये आँसुओं को पोंछते हुए बोली, "अरे, हम बच गए तो क्या? आख़िर, दहेज़ के भूखे ये इंसानी लकड़बग्घे किसी न किसी की मासूम बेटी को अपनी हवस का शिकार तो बना ही देते हैं।"

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