ज्ञान की बात

15-04-2021

ज्ञान की बात

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 179, अप्रैल द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

मित्र को उदास देख मैंने पूछा, "क्या हुआ? इतने उदास क्यों हो? कोई ख़ास बात?"

वह बोला, "सुबह मैंने फ़ेसबुक पर एक ज्ञान की बात लिखी लेकिन पूरा दिन बीत गया, किसी ने कमेंट करना तो दूर की बात है अभी तक उसे 'लाइक' भी नहीं किया है।"

मित्र का जवाब सुनकर मैंने पूछा, "ऐसी कौन सी ख़ास बात लिखी तुमने?"

जवाब देने के बजाय उसने अपने स्मार्ट फ़ोन की स्क्रीन मुझको दिखाई। 

उसने लिखा था—  "हमारे दुखों  का कारण हमारी अपेक्षाएँ होती हैं।"

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