विज्ञानकु: भौतिकी

01-11-2021

विज्ञानकु: भौतिकी

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 192, नवम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

मित्र विरल
जो हों कण भौतिकी
जैसे सरल।
 
मान लो मित्र
ब्रह्मांड है विचित्र
कहीं अधिक।
 
जिन्हें कहते
भौतिकी के नियम
वही है ब्रह्म।
 
जानेंगे सच
न माप सकें ऐसा
बचे न कुछ।
 
कहे भौतिकी
ब्रह्मांड की भाषा है
सिर्फ़ आवृति।

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