तवायफ़ें

01-09-2021

तवायफ़ें

राजनन्दन सिंह (अंक: 188, सितम्बर प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

तवायफें
अब पा चुकी हैं
अपने कुल का नाम
और आ मिली हैं सभ्य समाज में
महफ़िल में अब उसे 
कोई बाईजी नहीं कहता
 
दिखाने को चाहे अपने 
वह जितने भी आईटम दिखा दे
नाचने को चाहे 
वो जितना भी फूहड़ नाच  दे
मगर नाम महफ़िली नहीं 
सामाजिक परिवारिक ही रखती हैं
और उस नाम में  
अपने पिता का 
उपनाम भी लगाती हैं
काम सारे-आम खुली सभाओं में 
फूहड़ नाच का
और नाम संस्कृति का 
सभ्य सामाज का
कोई माने न माने इससे 
संस्कृति बदनाम होती है
 
एक मेंड़ तो होनी ही चाहिए
देवियों और अप्सराओं के बीच
एलेक्सा नाम की अँग्रेज़ बच्चियाँ
डरने लगी थीं अपना नाम बताते
एमाज़ॉन ने भरोसा दिया है
अपने डिवाइस का नाम बदलेगा
 
मानवीयता
समाजाधिकार
कोई नहीं देखता 
कोई नहीं सोचता
 
उन सभ्य भारतीय महिलाओं पर 
क्या गुज़रती है
ये फूहड़ तवायफ़ें
संयोगवश जिनकी 
हूबहू हमनाम होती हैं

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