फूल का सौदा

01-06-2021

फूल का सौदा

राजनन्दन सिंह (अंक: 182, जून प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

फूल 
जब तक लगा है डाल से
शोभा है वन की उपवन की
मन को लुभाता है 
ख़ुशबू लुटाता है
 
वही फूल
जब डाल से कटकर
आ जाती है बाज़ार में
पानी के छींटे 
और ताज़गी के रसायन छिड़ककर 
सुनहरी रुपहली रंगीन
महीन तारों की लड़ी में मढ़कर
जब उनकी ख़ुशबू और रंग के
हो जाते है भाव तय
अब वह फूल नहीं है 
फूल का सौदा है

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