वफ़ा के तराने सुनाए हज़ारों
डॉ. शोभा श्रीवास्तव122। 122। 122 122
वफ़ा के तराने सुनाए हज़ारों।
हमें ख़्वाब उसने दिखाए हज़ारों॥
कहाँ तक करें आपसे हम शिकायत,
सितम आपने हम पे ढाए हज़ारों।
ख़ता एक हमसे हुई, हमने माना,
मगर हमपे इल्ज़ाम आए हज़ारों।
इधर मेरे आंँसू न रुक पाए शब भर
सितारे उधर कसमसाए हज़ारों।
सनम ने तो बिखरा दिए सिर्फ़ काँटे,
रक़ीबों ने पर गुल बिछाए हज़ारों।
सवालों के घेरे में अब तक खड़े हैं,
जवाबों के मंज़र थे आए हज़ारों।
जो देखा अँधेरे में बस्ती को 'शोभा',
चिराग़ अपने हमने जलाए हज़ारों।
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