माँ ममता की मूरत होती, माँ का मान बढ़ाएँगे

15-05-2024

माँ ममता की मूरत होती, माँ का मान बढ़ाएँगे

डॉ. शोभा श्रीवास्तव (अंक: 253, मई द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

लावणी छन्द: एक प्रयास
मातृशक्ति को नमन

 
माँ की ममता को गीतों में, कैसे हम लिख पाएँगे। 
माँ ममता की मूरत होती, माँ का मान बढ़ाएँगे
 
सूरज सा है तेज नयन में, चांँद-सितारे आंँचल में। 
छनक रही घर भर की ख़ुशियांँ, माँँ की मधुरिम पायल में। 
ममता के अनगिन फूलों से, जीवन को महकाएँगे। 
माँ ममता की मूरत होती, माँ का मान बढ़ाएँगे। 
 
सुबह-सुबह पूजा की घंटी, नित-नित हमें जगाती है। 
सुखी सदा संतान रहे कह, दीपक रोज़ जलाती है। 
ममता के दीपक जीवन में, उजियारा भर जाएँगे। 
माँ ममता की मूरत होती, माँ का मान बढ़ाएँगे। 
 
चमक रही है तारों में अब, धरती सा विस्तार लिए। 
आ जाती है सपनों में माँँ, बाँहों का उपहार लिए। 
कोई बताए कि अब माँँ बिन, हम कैसे रह पाएँगे। 
माँ ममता की मूरत होती, माँ का मान बढ़ाएँगे। 
 
लिए लुकाठी हाथों में माँ, गलियों में दौड़ाती है। 
मेरा लल्ला-मुन्ना कहकर फिर, माखन रोज़ खिलाती है। 
ममता की मूरत के आगे, भगवन शीश नवाएँगे। 
माँ ममता की मूरत होती, माँ का मान बढ़ाएँगे। 
 
माँ की ममता को गीतों में, कैसे हम लिख पाएँगे। 
माँ ममता की मूरत होती, माँ का मान बढ़ाएँगे। 

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