आसरा है वो ज़िन्दगानी का

15-10-2025

आसरा है वो ज़िन्दगानी का

डॉ. शोभा श्रीवास्तव (अंक: 286, अक्टूबर द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)

 

2122    1212    22
 
आसरा है वो ज़िन्दगानी का 
है वो उन्वान इस कहानी का 
 
कह दिया करते हैं वो आँखों से, 
मैं तो कै़दी हूँ बेज़ुबानी का 
 
अब सफ़ीना न डूबने देगा, 
कर भरोसा तो इस रवानी का 
 
मुद्दतों बाद वो नज़र आया, 
मैं तो मारा था बदगुमानी का 
 
उनकी यादों से भर गया कमरा, 
शुक्रिया आज रातरानी का 
 
मुस्कुराता हूँ चोट खाकर भी, 
मैं तो क़ायल हूँ शादमानी का 
 
ग़र न दुनिया में नाम हो “शोभा” 
क्या मज़ा फिर तो इस जवानी का 

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