वो अगर मेरा हमसफ़र होता

15-04-2024

वो अगर मेरा हमसफ़र होता

डॉ. शोभा श्रीवास्तव (अंक: 251, अप्रैल द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)

 

2122    1212    22
 
उससे बढ़कर न मोतबर होता।
वो अगर मेरा हमसफ़र होता।
 
 नज़र से वो उतर गया, वरना,
 नज़र में बस वही क़मर होता। 
 
 काट  देते  न  जो  वो पर मेरे, 
 एक दिन मैं तो चाँद पर होता।
 
काश कुरबत में शाम रुक जाती,
रात होती न फिर सहर होता।
 
कौन मुझसे नज़र मिला पाता,
साथ माँ-बाप का अगर होता।
 
प्यार वाली बिसात में फँस कर
इधर होता कभी उधर होता।
 
हुनर है तुम में जीने का ‘शोभा’ 
हर किसी का नहीं जिगर होता।

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