आत्म हीन होते समय में

15-08-2022

आत्म हीन होते समय में

डॉ. शोभा श्रीवास्तव (अंक: 211, अगस्त द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)

हृदय में संवेदना नहीं
आँखों के सामने 
नहीं कोई लुभावना दृश्य
जंगल होते जा रहे 
शहर के बीचों-बीच खड़ी
आस्था का चीत्कार
घुल रहा है शब्दों में
जाने कैसे चल रही है
इस आत्महीन समय की नब्ज़। 

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