घायल हैं जज़्बात यहाँ

15-03-2025

घायल हैं जज़्बात यहाँ

डॉ. शोभा श्रीवास्तव (अंक: 273, मार्च द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)


घायल हैं जज़्बात यहाँ
क़दम-क़दम पर घात यहाँ 
 
बढ़ जाती है जाने क्यों 
छोटी-छोटी बात यहाँ 
 
भूल गई अब प्यार वफ़ा
क्यों मानव की जात यहाँ 
 
चलना जिनकी फ़ितरत है 
क्या देखें दिन-रात यहाँ 
 
सूखी-सूखी धरती है 
कब होगी बरसात यहाँ
 
ग़म ना कर फिर आएगी
ख़ुशियों की बारात यहाँ
 
मेहनत जिनका धरम-करम 
क्यों माँगें ख़ैरात यहाँ
 
क्यों डरते हो, सुधरेंगे 
बिगड़े सब हालात यहाँ
 
कर सकते हो तुम ‘शोभा’ 
हर मुश्किल को मात यहाँ

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