किससे शिकवा करें अज़ीयत की
डॉ. शोभा श्रीवास्तव
2122 1212 22
किससे शिकवा करें अज़ीयत की
राह जब खुद चुनी मोहब्बत की
दिल मिरा था फ़कत दौलत मेरी
आपके नाम क्यों वसीयत की
देखना, मुस्कुरा के चल देना
ये तो हद हो गई शरारत की
दे चुके थे मुझे जो दिल अपना
क्यों अमानत में फिर ख़यानत की
अपने दम पर मुकाम कर हासिल
छोड़ बातें किसी विरासत की
मुझको नेकी मिली विरासत में
वजह इतनी है मेरे शोहरत की
आपके जुर्म मेरे सर आए
बात ‘शोभा’ ये थी सियासत की
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