मासूम सी तमन्ना दिल में जगाए होली

01-04-2025

मासूम सी तमन्ना दिल में जगाए होली

डॉ. शोभा श्रीवास्तव (अंक: 274, अप्रैल प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

बहर: मुज़ारे मुसम्मन अख़रब
अरकान: मफ़ऊल फ़ाएलातुन मफ़ऊल फ़ाएलातुन
तक़्ती'‌अ: 221    2122    221    2122
 
मासूम सी तमन्ना दिल में जगाए होली
चाहत के जाने कितने जलवे दिखाए होली
 
हैं तर ब तर इरादे उल्फ़त के रंग वाले
गलियों में अब नज़र के सपने बिछाए होली
 
शायद वो इस गली में इस बार फिर से आए
अल्हड़ निगाह में फिर सपने सजाए होली
 
दिल में रहे न तल्ख़ी सबको गले लगाओ
ख़ुशियाँ तमाम सब पर खुलकर लुटाए होली
 
छोड़ो उदासियों को रंगों में डूब जाओ
देखो ठहाके कैसे हँस कर लगाए होली
 
फागुन उतर गया है जीवन में इस क़दर अब
जैसे कि ज़िंदगी से वापस न जाए होली

रंगीन तश्तरी में लेकर दुआ हज़ारों
ऐ काश माँ को मेरी वापस बुलाए होली
 
मुट्ठी में रंग लेकर उनसे मिलो ज़रा तुम
ज़ख़्मी दिलों को जिनके हर पल जलाए होली
 
मंज़र हँसी के ‘शोभा’ क़ायम रहे सदा ही
हर साल आ के सबको हँसना सिखाए होली

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