निगाहों में अब घर बनाने की धुन है

01-01-2025

निगाहों में अब घर बनाने की धुन है

डॉ. शोभा श्रीवास्तव (अंक: 268, जनवरी प्रथम, 2025 में प्रकाशित)

 

122    122    122    122
 
निगाहों में अब घर बनाने की धुन है। 
हमें आपसे दिल लगाने की धुन है।
 
लकीरें हथेली की उलझी रही हैं,
मगर अब इसे आज़माने की धुन है।
 
कई लोग घायल हुए हैं वफ़ा में,
सुना है, मगर चोट खाने की धुन है।
 
सवालों में उलझा रहा दिल हमेशा,
जवाबों की महफ़िल सजाने की धुन है।
 
ग़लत की वकालत नहीं कर सके हम,
उन्हें झूठ को सच बताने की धुन है।
 
ज़रा सोचकर जाइए उस शहर में,
हवा में वहाँ विष मिलाने की धुन है।
 
हमारी तरह ज़िंदगी जी के देखो,
कि ‘शोभा’ को हँसने-हँसाने की धुन है।

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