दहके-दहके टेसू, मेरे मन में अगन लगाये
डॉ. शोभा श्रीवास्तव
पवन बसंती रस छलकाती, प्रेम गीत दोहराये।
दहके-दहके टेसू, मेरे मन में अगन लगाये॥
थिरक रही है नार नवेली, झूम रहा है आँगन।
बरस बिताकर घर आए हैं परदेसी मनभावन॥
इक मीठी मुस्कान पिया की, जीवन रस बरसाये।
दहके-दहके टेसू, मेरे मन में अगन लगाये॥
ढोल, नगाड़े, ताशे बजते, मौसम फाग सुनाये
प्रेम रंग, रंग देंगे प्रियतम, सोच के मन मुस्काये।
उड़े अबीर-गुलाल ख़ुशी के, सजनी झूमे-गाये।
दहके-दहके टेसू, मेरे मन में अगन लगाये॥
बीतें न फागुन के ये दिन, टेसू न मुरझाये।
राह निगोड़ी फिर बिदेस की, साजन को न बुलाये।
मन ही मन व्याकुल बावरिया सारे देव मनाये।
दहके-दहके टेसू, मेरे मन में अगन लगाये॥
पवन बसंती रस छलकाती, प्रेम गीत दोहराये।
दहके-दहके टेसू, मेरे मन में अगन लगाये॥
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