मैंने उन्हें देखा था

01-03-2024

मैंने उन्हें देखा था

महेश रौतेला (अंक: 248, मार्च प्रथम, 2024 में प्रकाशित)

 

मैंने उन्हें
पचास, साठ, सत्तर, अस्सी, नब्बे की उम्र में देखा
जब स्वस्थ थे, उदार थे
हँसते खिलखिलाते थे, 
आशा-आकाक्षांओं को ऊँचा कर
एक जगमग सा संसार रचते थे, 
दूध सी श्वेत बात कर
मन में विश्वास जगाते थे। 
यदा-कदा राष्ट्र की बात करते थे
बसंत की सुषमा में
वृक्ष सा फल-फूल
पतझड़ के लिए तैयार मिलते थे। 
नदी सा बहते थे
अनेकों तीर्थ समेटे
खारे समुद्र में मिलने का संकल्प रखते थे। 

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