ज़ुर्म की यूँ दास्तां लिखना
ख़ंजर अपना पता लिखना
मिले जो हम किसी मोड़ पे
गली की बस ख़ता लिखना
इनायत करम, तुम पे करे
उसे तो ख़ुदा, ख़ुदा लिखना
लकीरें कब मिटा करती
जुदा हों तो, जुदा लिखना
कहीं तू ज़िक्र में आये
कहे दिल कुछ, भला लिखना