विज्ञानकु: स्वास्थ्य

01-08-2021

विज्ञानकु: स्वास्थ्य

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 186, अगस्त प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

जीने की चाह
अगर है तो न हों
लापरवाह।
 
कोशिश करें
तंदुरुस्त हो तन
शुद्ध हो मन।
 
शुद्ध हो हवा
तो यक़ीन मानिए
रहेंगे जवां।
 
स्वच्छ हो जल
अंग प्रत्यंग सभी
होंगे निर्मल।
 
मिट्टी हो स्वस्थ
भला फिर क्यों होंगे
हम अस्वस्थ। 

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